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अनेकता में एकता

प्रकृति में इतनी विविधता है। यहाँ अनेक प्रकार के जीव जन्तु, वनस्पतियाँ हैं। प्रकृति की यह विविधता मन मोह लेती है। इस विविधता में ही प्रकृति की सुन्दरता छिपी है। सदियों से मनुष्य इस विविधता की ओर आकर्षित रहा है। किन्तु कुछ ही मनष्य ऐसे हैं जिन्होंने  इस विविधता के पीछे छिपे उस परम तत्व को जानने का प्रयास किया है जो विभिन्न वस्तुओं को एक सूत्र में पिरोये हुए है। वह परम तत्व है ईश्वर। प्रकृति के समान  मानव समाज में भी विभिन्नताएं पाई जाती हैं। अलग अलग भौगोलिक परिस्तिथियों में विभिन्न रूप रंग आचार व्यहवार वाले तथा विभिन्न भाषा का प्रयोग करने वाले लोग पाए जाते हैं। हमारे समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। सभी धर्मावलम्बियों की  उपासना की पद्धति अलग अलग है। किन्तु यदि हम गहराई से सोंचें तो इस भिन्नता के पीछे हमें एकता का एहसास होगा। विभिन्न रंग रूप वाले तथा अलग अलग भाषाएँ बोलने वाले लोगों के भीतर एक सी भावनाएं व्याप्त हैं। हम सभी ख़ुशी तथा ग़म का अनुभव करते हैं।हम सभी के ह्रदय में प्रेम, करुणा, दया, लालच, क्रोध इत्यादि की भावनाएं पाई जाती हैं। भूख लगना, निद्रा, आत्म रक्षा तथ