यादें
यादें हमारे बीते जीवन के खट्टे मीठे पलों का एक खज़ाना होती हैं। जो हमारे ह्रदय के किसी कोने में दबी होती हैं। एक झलक, किसी पन्ने पर लिखे कुछ शब्द, मिट्टी की सोंधी खुशबू , किसी की मुक्त हंसी कुछ भी दिल की गहराईयों में छिपे यादों के इस सागर में हलचल मचा देती है। जब कभी तन्हाई में हम बहुत अकेलापन महसूस करते है तब हमारे मानस पटल पर किसी चलचित्र की भांति हम इन्हें देख सकते हैं। इन यादों के साथ कभी हंसते हैं तो कभी हमारी आँखें छलक उठती हैं। वैसे बीती बातों को याद करना आसान है किन्तु जब कोई हमें उनके बारे में लिखने को कहता है तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं। क्या सचमुच जो हमारे जीवन में बीता वह लिखने के योग्य है। यदि हाँ तो कहाँ से प्रारंभ करें। किन घटनाओं का जिक्र करें और किन्हें छोड़ दें इत्यादि। सबसे बड़ी बात यह है की जो यादें हमारे व्यक्तिगत जीवन से इतनी गहराई से जुडी हैं उन्हें सब के साथ साझा करने में एक झिझक सी होती है। क्योंकि अपने व्यक्तिगत पलों को दूसरों के साथ बाटने में पूर्ण ईमानदारी बरतने की ज़रुरत होती है। हम तोड़ मरोड़ कर अपने मुताबिक़ उन्हें पेश नहीं कर सकते हैं। यही कार