अपनी 'आत्मशक्ति' के कारण टिका हूँ
अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले प्रायः अकेले पड़ जाते हैं। समाज और परिवार की तरफ से उन्हें वह सहयोग नही मिल पाता जो मिलना चाहिए। यही कारण है कि हमारे समाज में न्याय देर से मिलता है। जबकी जो लोग भी अन्याय के विरुद्ध लड़ते हैं उसमें केवल उनका स्वार्थ नही होता। वह लड़ाई दरअसल हमारी अपनी लड़ाई होती है। मास्टर विजय सिंह पिछले दो दशकों से एक ऐसी ही लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी सरकार से मांग है कि उनके गांव की लगभग 4000 बीघा जमीन जिस पर भूमि माफिया का कब्ज़ा है मुक्त कर दी जाए। पिछले 21 वर्षों से मुजफ्फर नगर कलेक्ट्रेट के गलियारे में इस अन्याय के विरुद्ध धरने पर बैठे हैं। इनके गांव चौसाना मे दबंगो का बोलबाला था। गरीबों को न्याय नही मिलता था। सरकारी भूमि व योजनाओ को दबंग लोग हड़प लेते थे। एक दिन जब विजय सिंह स्कुल से घर आ रहे था एक पाँच साल का बच्चा अपनी माँ से कह रहा था कि माँ किसी के घर से आटा ले आओ। ताकि शाम को तो रोटी बन सके। बच्चे के शब्दों ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया। उस रात उन्हें नींद नही आई। विजय जी ने इस विषय में कुछ करने की ठानी। अपने शिक्षक पद से त्याग पत्र दे दिया। अपने