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दिसंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उम्र कम लेकिन हुनर बड़ा

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उम्र कम लेकिन हुनर बड़ा 'यह सपने के पूरा होने जैसा है. मैं मेहनत कर रहा हूँ क्योंकी सफलता का कोई शार्टकट नही होता है.' यह कहना है 2015 के Junior Golf World championship विजेता शुभम जगलान का. यह कारनामा उन्होंने 2012 में केवल 9 वर्ष की आयु में भी कर दिखाया था.  16 अगस्त 2004 को शुभम का जन्म हरियाणा के इसराना गांव में हुआ था. घर में दूध का कारोबार होता था. पहलवानों के इस गांव में किसी ने भी Golf का नाम नहीं सुना था. Golf से शुभम का रिश्ता तब जुड़़ा जब कपूर सिंह नाम के एक NRI ने इनके गांव में आकर एक Golf Academy आरंभ की जिसका उद्देश्य बच्चों में Golf के प्रति रुझान पैदा करना था ताकि नई प्रतिभाओं को तलाशा जा सके. शुभम ने भी इस Academy में दाखिला लिया. Academy तो कुछ दिन में बंद हो गई लेकिन शुभम का रिश्ता Golf से सदा के लिए जुड़़ गया.  अपने Desktop पर YouTube पर Tiger Woods जैसे महान खिलाड़ियों का खेल देखकर इन्होंने प्राप्त सीमित संसाधनों के द्वारा Training जारी रखी. इस दौरान शुभम ने अपनी आयु वर्ग में कई Tournaments में भाग लिया. इस दौरान भारत की बेहतरीन Golf खिलाड़ी नोनीता

सूखे में मदद की फुहार

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सूखे में मदद की फुहार हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है. लेकिन देश के हर प्रांत में किसानों का हाल बेहाल है. आज भी किसान सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर हैं. सूखे की दशा में फसल नष्ट होने पर कर्ज के बोझ से दबे किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. आए दिन समाचारपत्रों में इस तरह के समाचार छपते हैं. TV Shows में इस पर चर्चा होती है. किसानों की इस बदहाली पर हम सब अफसोस तो करते हैं किंतु बहुत कम लोग ही हैं जो कुछ करते हैं.  फिल्मजगत के प्रसिद्ध अभिनेता नाना पाटेकर उन चंद लोगों में से हैं जो चुपचाप बैठ कर देखने की बजाय कुछ करने में यकीन रखते हैं. अपनी भूमिकाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त अव्यवस्था और अराजकता एवं उसके प्रति हमारी उदासीनता पर तीखी चोट करने वाले नाना जब भी किसानों की दुर्दशा के बारे में सुनते तो उनके मन में कुछ करने की भावना जागती. आरंभ में उन्होंने अपनी कुछ व्यक्तिगत पूंजी से किसानों की मदद आरंभ की.  शीघ्र ही उन्होंने महसूस किया कि यह समस्या बहुत बड़ी है अतः इस पर वृहद पैमाने पर सोंचने की आवश्यक्ता है. फिल्मजगत के अपने एक मित्र मकरंद अनसपुरे के साथ मिलकर नाना ने NAAM

मदद का 'साया'

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मदद का 'साया' पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के रहने वाले मेरे Facebook मित्र वक़ार ख़ुर्शीद एक जिंदादिल इंसान हैं. अपनी ज़िंदगी में कई प्रकार की तकलीफों से गुजरने के बाद भी इन्होंने हिम्मत नही हारी.  बचपन में इनका एक पैर पोलियो ग्रस्त हो गया. पैरों में Braces पहन कर इन्होंने चलना शुरू किया. 12 वर्ष की अवस्था में जब यह मरी के P A F cadet college Boarding school में अपने भाई के साथ पढ़ रहे थे तब अचानक ही इन्हें पोलियो का एक दौरा पड़ा जिससे चलने में तकलीफ होने लगी. फिर भी इन्होंने हिम्मत नही हारी. धीरे धीरे ही सही चलना जारी रखा. जब यह Bsc कर रहे थे तब यह सीढ़ियों से गिर पड़े. इनके सर पर गंभीर चोट लगी. काफी इलाज के बाद भी कोई फायदा नही हुआ. जीवन के दस साल इन्होंने बिस्तर पर पड़े हुए काटे. इस दौरान इनकी दुनिया इनके कमरे तक सिमट गई. ऐसे में किसी फरिश्ते की भांति पाकिस्तान के NGO SAAYA Foundation ने इनके जीवन में कदम रखा. SAAYA Association शारीरिक रूप से अक्षम लोगों का समूह है. इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों की स्थिति सुधारने में उनकी सहायता करना है ताकि वह समाज में सर उठा कर जी