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समस्या होने पर उसे विवेक द्वारा हल करना चाहिए। 

सहिष्णुता और भारत

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सहिष्णुता और भारत सहिष्णुता का अर्थ है सहन करना. व्यापक अर्थ में सहिष्णुता का अर्थ है अपना आचरण इस प्रकार रखना जिससे दूसरों को कष्ट ना हो. यहाँ कष्ट से आशय दैहिक तथा मानसिक दोनों प्रकार के कष्टों से है.   सहिष्णुता हमें सिखाती है कि दूसरों की भावनाओं उनके विचारों का सम्मान किया जाए.  भारत की भूमि शताब्दियों से विभिन्न विचारधाराओं की जननी रही है. यहाँ वात्स्यायन के कामसूत्र को स्वीकृति मिली है तो वेदव्यास के वेदांतसूत्र को भी लोगों ने सम्मान दिया है. जहाँ निराकार ब्रह्म की अवधारणा है तो साकार रुप में बहुदेवों के पूजन की भी प्रथा रही है.   सनातन धर्म के अतिरिक्त यहाँ बौद्ध, जैन तथा सिख धर्म का जन्म हुआ है.  ईसाई धर्म भारत में सदियों पुराना है. कई यूरोपीय देशों में इसका प्रसार होने से पहले भारत में इसका आगमन हुआ. भारत में हिंदू धर्म के बाद इस्लाम ऐसा धर्म है जिसके मानने वालों की संख्या सबसे अधिक है. यहूदी, पारसी तथा बहाई धर्म के लोगों को मानने वाले लोग भी इस देश में पाए जाते हैं.  हमारी कई परंपराएं रीति रिवाज़ हमारी सांझी विरासत की देन हैं. विभिन्नता को आत्मसात करने की हमा

रुक जाना नहीं

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रुक जाना नहीं  जब समय आपके प्रति कठोर हो तब अपने आप को और अधिक कठोर बनाएं. यह आपको मुसीबतों का सामना करने में मदद करेगा. कुछ इसी तरह की सोंच है CA चिराग चौहान की. मुसीबतों से हार ना मानने का इनका जज़्बा काबिले तारीफ है.  18 वर्ष की आयु में पिता का साया सर से उठ गया. अपनी ज़िम्मेदारियों को समझते हुए इन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने का निश्चय किया. इसके लिए चिराग ने Charted Accountancy के कोर्स में दाखिला लिया. साथ ही साथ इन्होंने Graduation में भी प्रवेश लिया. एक दृढ़ निश्चय के साथ दोनों परीक्षाओं की तैयारी आरंभ कर दी. स्नातक में प्रथम श्रेणी प्राप्त की. साथ ही साथ CA की PE II की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली. Articleship के लिए इन्होंने M/S A.J. Shah & Co. को चुना. यहाँ अपना काम चिराग को बहुत पसंद आ रहा था. गाड़ी बहुत अच्छी चल रही थी. लेकिन 11 July 2006 का दिन इनके जीवन में बड़ा भूचाल लेकर आया. इसकी शुरुआत आम दिनों की तरह ही हुई थी. रोज़ की तरह चिराग अपने काम पर गए. काम जल्दी ख़त्म हो जाने के कारण उन्होंने घर लौटने के लिए लोकल ट्रेन पकड़ी. सारा मुंबई लोकल ट्रेन में हुए
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आज देश की दो महान महिला विभूतियों का जन्मदिन है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और श्रीमती इंदिरा गांधी। दोनों ही वीरता , साहस तथा दृढ़ता का प्रतीक हैं। झांसी की रानी ने वीरता और साहस से अंग्रेज़ों का मुकाबला किया। उन्होंने पुरुष प्रधान समाज को दिखा दिया की जिन हाथों में चूड़ियां खनकती हैं वही तलवार भी टकरा सकते हैं। श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस विशाल प्रजातंत्र की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। वह एक दृढ व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं। विविधता से भरे इस देश की कमान उन्होंने बहुत ही सूझबूझ के साथ सम्हाली। दोनों ही महिलाओं को शत शत नमन। 

सामाजिक चेतना का दीप

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सामाजिक चेतना का दीप दीपावली में हम धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. घर की स्त्री को लक्ष्मी कहते हैं किंतु जब घर में बेटी का जन्म होता है तब बजाय खुश होने के बहुत से लोग उसे बोझ मानकर दुखी होते हैं. बहुत से लोग तो गर्भ में ही लिंग परीक्षण करा कर बेटियों की हत्या कर देते हैं.  ऐसे माहौल में कुछ लोग सामाजिक चेतना का दीप जला कर समाज को राह दिखाने का कार्य करते हैं. कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध मुहिम चलाने वाले तथा लोगों को बेटियों का महत्व समझाने वाल ऐसे ही एक व्यक्ति हैं डॉ. गणेश राख. पुणे के डॉ. गणेश ने बालिकाओं की रक्षा हेतु एक अनोखा कदम उठाया है. अपने अस्पताल में होने वाली प्रसूति में कन्या का जन्म होने पर यह कोई फीस नही लेते हैं. इनके इस अनूठे कदम का समाज पर प्रभाव पड़ा है तथा इसने एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले लिया है.  मीडिया में इनके इस प्रयास की खबर आने के बाद कई गांवों के ग्राम पंचायत अध्यक्षों ने इस बात का वचन लिया है कि वह कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई करेंगे तथा लोगों में कन्याओं के प्रति संवेदना पैदा करेंगे. कई डॉक्टर भी इनकी इस मुहिम में शामिल हुए हैं.

छू लिया आकाश

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छू लिया आकाश वह स्वयं बोल और सुन नही सकता हैं लेकिन कारनामा ऐसा कर दिखाया कि सभी तरफ उनकी तारीफ हो रही है. केरल के 45 वर्षीय साजी थॉमस पर आज भारत समेत पूरे विश्व को गर्व है. उनके बोल और सुन ना सकने की अक्षमता के कारण लोग उन्हें नाकारा समझते थे. किंतु इससे निराश होने के बजाय उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जिससे लोग उनकी क्षमता का लोहा मान लें.  उन्हेंने कबाड़ से सबसे सस्ता जेट विमान बना कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. जहां एक विमान 25 लाख में आता है उनका बनाया जेट मात्र 14 लाख का है. थॉमस की उपलब्धियों को डिस्कवरी चैनल पर दिखाया जाएगा. उनका नाम पहले ही India books of records में दर्ज़ हो चुका है. थॉमस ने Director General of Civil Aviation से लाईसेंस पाने के लिए अर्ज़ी दी है. वह दो इंजन वाला ऐसा विमान बनाना चाहते हैं जिसे Run way की ज़रूरत ना हो. साजी थॉमस उन लोगों के प्रेरणा स्रोत हैं जो अपनी शारीरिक कमी के कारण हार मान लेते हैं.

उतार चढ़ाव

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उतार चढ़ाव जीवन दो परस्पर विरोधी स्थितियों के बीच बहने वाली धारा का नाम है. सुख- दुख, मिलन-विक्षोह, उन्नति-अवनति सभी को इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. यह तो प्रकृति का नियम है. उगते सूरज का अस्त अवश्य होता है. जैसे काली रात के अंत में सुबह अवश्य होती है. आप और हम प्रकृति के नियमों को बदल नही सकते. अतः समझदारी इसी में है कि इन्हें स्वीकार कर लिया जाए. सुख में, उन्नति में संयम बनाए रखें और दुख तथा अवनति के दौर में धैर्य तथा हिम्मत रखें. याद रखें संतुलन ही जीवन का सार है.

तमसो मा ज्योतिर्गमय

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शुभ दीपावली दीपावली पर्व है प्रकाश का. जब हम घरों को दीपों से सजाते हैं. यह प्रतीक है अंधकार पर प्रकाश की विजय का. यह पर्व चौदह वर्ष का वनवास काटकर  रावण का वध करके लौटे श्रीराम के अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है. यह पर्व संदेश देता है कि अच्छाई से बुराई को जीता जा सकता है, अंधकार पर प्रकाश सदैव ही विजयी रहता है. आवश्यक्ता है तो बस हमारे प्रयास की. अंधेरे की शिकायत करने से कुछ नहीं मिलता है. अंधकार को मिटाने के लिए दीप जलाने पड़ते हैं. समाज में व्याप्त बुराइयों का अंत हमारे प्रयासों से ही हो सकता है. आपसी वैमनस्य प्रेम से ही दूर हो सकता है. अतः इस दीपावली जब दीप जलाएं तो उनमें से कुछ दीप प्रेम, शांति, सद्भावना, भाईचारे और एकता के नाम पर जलाएं. ताकि ऐसे समाज का निर्माण हो सके जहां आने वाली पीढ़ियां मिलजुल कर हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मना सकें. आने वाले ऐसे ही कल  की उम्मीद पर आप सभी को दीपावली की शुभ कामनाएं. ॐ   असतो   मा   सद्गमय  । तमसो   मा   ज्योतिर्गमय  । मृत्योर्मा   अमृतं   गमय  । ॐ   शान्तिः   शान्तिः   शान्तिः  ॥ यह लेख Jagranjunction.com पर प्रकाशित है

बिना बाजुओं की पायलट

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बिना बाजुओं की पायलट कुदरत यदि हमें किसी चीज़ से वंचित रखती है तो उसकी कमी पर दुखी होने की बजाय अपने हौसले से उस कमी पर विजय पाई जा सकती है. अरिजोना में जन्मी जेसिका कॉक्स इस बात का उदाहरण हैं. जन्म से ही उनकी दोनो भुजाएं नही थीं. लेकिन अपने अदम्य साहस के दम पर वह विश्व की पहली बिना बाजुओं वाली व्यक्ति बन गई हैं जिन्हें हवाई जहाज़ उड़ाने का लाईसेंस मिला है. जेसिका ने कभी भी अपनी शारीरिक कमी को अपने जीवन का रोड़ा नही बनने दिया. उन्होंने वह हर काम किया जिसे करने का खयाल उनके मन में आया. वह Taekwondo में Black belt धारक हैं. घुड़सवारी करती हैं. एक सधे हुए पियानो वादक की भांति पैरों से पियानो बजाती हैं.  अपनी भुजाओं की कमी को वह अपने पैरों से पूरा करती हैं. एक उम्र के बाद उन्होंने कृत्रिम भुजाओं का प्रयोग बंद कर सारा काम पैरों से करना आरंभ किया. उनका मानना है कि प्राकृतिक मांसपेशियों से बेहतर काम लिया जा सकता है. अपने पैरों से वह अपने रोज़मर्रा के काम तो करती ही हैं साथ ही Unmodified car भी चलाती हैं. Keyboard पर 25 शब्द प्रति मिनट के हिसाब से Type कर सकती हैं. वह एक C