संदेश

जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सेवा ही परम धर्म है इनका

चित्र
  सेवा ही परम धर्म है सड़क पर चलते हुए कई बार हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जो यूं ही सड़कों पर घूमते रहते हैं। जो मिल गया खा लिया। किसी भी जगह लेट या बैठ जाते हैं। इन लोगों के बाल बेतरतीब बढ़े हुए एवं उलझे रहते हैं। तन पर मैले कुचैले कपड़े होते हैं।‌ ना नहाने के कारण शरीर पर मैल की परतें जमा होती हैं। कई बार शरीर पर घाव होते हैं जिनमें कीड़े पड़े होते हैं।  ऐसे सब लोगों को हम पागल कह कर दुत्कार देते हैं। अपने आसपास भी भटकने नहीं देते। हमारे लिए इनका अस्तित्व समाज पर एक भार से अधिक कुछ नहीं होता है।  पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों की सेवा ही अपना सबसे बड़ा धर्म समझते हैं। डॉ. संजय कुमार शर्मा ऐसे ही एक व्यक्ति हैं। जो मानव सेवा को अपना सबसे बड़ा धर्म मानते हुए विगत 28 वर्षों से मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के मसीहा बने हुए हैं।  उनका ना तो कोई NGO है और ना ही इन्हें कोई सरकारी सहायता प्राप्त है। यह सेवा का कार्य डॉ. संजय कुमार शर्मा अपने खर्च पर करते हैं।  सड़क पर भटकते मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को खाना देना, दवाइयां देना, उनके कपड़े बदलवाना, नहलाना, उनके घावों