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अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

'एक पहल' सामाजिक समानता की ओर

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एक सफल समाज की पहचान यही है कि वहाँ सभी वर्गों को समान अधिकार हों. उन लोगों को भी जिन्हें विशेष देखभाल की ज़रुरत होती है. ऐसे व्यक्ति जो शारीरिक तथा मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ऐसे लोगों को समाज में उनका हक दिलाने तथा एक ऐसे जीवन के लिए तैयार जहाँ वह आत्मसम्मान से जीवन व्यतीत कर सकें विशेष प्रयासों की ज़रुरत पड़ती है. बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपना जीवन इसी उद्देश्य के लिए समर्पित किया है. ऐसे ही एक युवा हैं 24 वर्षीय मोहम्मद उवेद. उवेद पेशे से एक Special Educator हैं जो उन बच्चों के लिए काम करते हैं जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यक्ता पड़ती है. Rehabilitation Council of India के तहत इन्होंने स्वयं को 'Rehabilitation Professional in Mental Retardation' के रुप में पंजीकृत करा रखा है. वर्तमान में उवेद GB Senior Secondary School नई दिल्ली में Special Education Teacher (Guest teacher) के रूप में काम कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त उवेद कई NGO तथा Special Education institutes के साथ जुड़़े हैं. Dr. Bhimrao Ambedkar University Agra से Graduation करने के बाद उवेद ने

जीवन चलने का नाम

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जिस प्रकार नदी अपने रास्ते में आने वाले अवरोधों को पार करते हुए सदैव आगे बढ़ती है उसी प्रकार जीवन की उपियोगिता भी बाधाओं को चुनौती देते हुए निरंतर आगे बढ़ने में है. सारी बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते रहने का नाम है जीवन. जो जुझारू लोग ऐसा साहस करते हैं उन्हें ही ज़िंदगी गले लगाती है.  शिवानी गुप्ता एक ऐसे ही हौंसलामंद व्यक्तित्व का नाम है. इनके भीतर की जिजीविषा ने बाधाओं के भी हौंसले पस्त कर दिए. ज़िंदगी ने आगे बढ़ कर इन्हें गले लगाया है.  Hotel management का Course करने के बाद शिवानी दिल्ली के Maurya Sheraton hotel में Public Relations Officer के पद पर काम कर रही थीं. वहाँ से त्यागपत्र देकर उच्च शिक्षा का सपना अपनी आंखों संजोए 22 साल की शिवानी विदेश जाने को तैयार थीं. उन्हें विदाई देने के लिए एक पार्टी का आयोजन किया गया. देर रात वह अपने प्रेमी तथा अन्य मित्रों के साथ कुछ मित्रों को घर छोड़ने तथा ताज़ी हवा खाने के इरादे से बाहर निकलीं. शिवानी अपने प्रेमी के साथ एक कार में थीं तथा अन्य कार में इनके मित्र थे. रात के सन्नाटे में खाली सड़क पर कारें तेज़ी से दौड़ रही थीं. तभी अचानक

सुरों का सुखद 'स्पर्श'

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उसकी आवाज़ का जादू लोगों को मदमस्त कर देता है. उसके सुरों की लहर सुनने वालों की आत्मा को आनंदित कर देती है. अपने हुनर से करोड़ों दिलों को छू लेने वाला महज 12 वर्ष का एक बच्चा है जिसका नाम स्पर्श शाह है. स्पर्श अमेरिका के रहने वाले हैं. इन्हें लोग पुरिदम (Purythum) के नाम से भी जानते हैं. स्पर्श बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी हैं. एक तरफ जहाँ कुदरत ने उनकी आवाज़ को मिठास से नवाज़ा है वहीं कुशाग्र बुद्धि का तोहफा भी दिया है. तकरीबन 7 सालों से भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखने के साथ साथ पिछले तीन सालें से American Vocal की भी शिक्षा ले रहे हैं. वह दस से अधिक गीत लिख चुके हैं. इनमें से अधिकांश का संगीत भी इन्होंने ही रचा है. इसके अतिरिक्त वह 40 से भी अधिक Live Performances, स्थानीय Radio तथा Television Shows में हिस्सा ले चुके हैं. कई संस्थाओं के लिए तथा प्राकृतिक आपदाओं के समय वह Fund Raising का भी काम करते हैं. स्पर्श एक अच्छे लेखक व वक्ता भी हैं. इतनी उपलब्धियां पाने वाले स्पर्श के जीवन का एक और पहलू भी है. वह एक गंभीर रोग से ग्रसित हैं. Osteogenesis Imperfecta   एक दुर्लभ तथा

सामाजिक चेतना के जनक

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इस वर्ष संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेदकर की 125 जयंति है. डॉ. अंबेदकर ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है जहाँ धर्म जाति लिंग किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना सभी भारतीय नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं.  मेरे लिए बाबासाहेब भीमराव अंबेदकर वह आवाज हैं जिसने सदियों से शोषित व उपेक्षित लोगों को झझकोर कर रख दिया जिन्हें हिंदू समाज की जातिगत व्यवस्था में सबसे नीचे स्थान दिया गया है. वह आवाज जिसने उनके भीतर आत्मसम्मान से जीने की ज्वाला पैदा की. बाबासाहेब ने ना सिर्फ दलितों के सामाजिक हितों वरन् उनके राजनैतिक अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी. दलित समाज की अस्मिता की लड़ाई का बिगुल ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बजाया. सामाजिक तथा राजनैतिक आलोचना, तिरस्कार एवं भेद भाव पूर्ण रवैये की परवाह किए बिना दलितों को उनके अधिकार दिलाने के अपने लक्ष्य पर डटे रहे. दलितों के मुद्दों को धैर्य, साहस और ईमानदारी के साथ उठाते रहे.  उनकी लड़ाई सामाजिक स्वतंत्रता, राजनैतिक तथा आर्थिक सशक्तिकरण के साथ साथ दलित समाज में सम्मान की उस भावना को जागाने के लिए थी जो सदियों के शोषण द्वारा बुरी तर

जिएं ज़िंदादिली से

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ज़िंदगी को पूर्णता से जीने की चाह सभी गतिरोधों को परास्त कर देती है. जब आप चुनौतियों से भागने की बजाय उनका सामना करते हैं तो वह स्वयं आपके समक्ष घुटने टेक देती हैं. "विजेता वही होते हैं जो स्वप्न देखने का साहस करते हैं. जो अपना आत्मविश्वास कभी नही खोते."  इनू सिंग त्रिपाठी एक ऐसी ही शख़्सियत हैं जिन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना कर उन्हें पराजित किया है. अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद अपने दृढ़निश्चय तथा आत्मबल से इन्होंने वह मुकाम हासिल किए हैं जो बहुत से लोगों के लिए सोंच से परे हैं. इनू एक Fashion designer, Qualified HR & Marketing Executive होने के साथ साथ एक गायिका, एक चित्रकार तथा लेखिका भी हैं. इसके अतिरिक्त वह एक पत्नी तथा माँ का उत्तरदायित्व भी भली भांति निभाती हैं.  इनू का जन्म ओडिशा में हुआ था. महज दस माह की आयु में इन्हें Polio हो गया. जिसके कारण उनके शरीर का निचला हिस्सा प्रभावित हो गया. अतः चलने फिरने के लिए उन्हें Wheelchair का सहारा लेना पड़ता है. किंतु इससे उनके जीने के जज़बे पर कोई प्रभाव नही पड़ा. इनू ने स्वयं को स्व

उम्मीद का संचार

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मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है                     हर पहलू  जिंदगी का इम्तहान होता है                                             डरने वालों को कुछ नही मिलता जिंदगी में और लड़़ने वालों के कदमों में जहान होता है इसी जज़्बे के साथ श्री कबीर सिद्दकी उन लोगों के जीवन में आशा का संचार कर रहे हैं जो शारीरिक या मानसिक चुनौती का सामना कर रहे हैं. अपने Web channel WE THE PEOPLE के द्वारा कबीर जी अक्षम लोगों के पुनर्वास का कार्य कर रहे हैं.  यह Web channel अपने आप में एक अनूठा प्रयास है जो शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम लोगों उनके परिवार तथा उन सभी लोगों को आपस में जोड़ता है जो किसी भी प्रकार से इस संबंध में सहायता दे सकते हैं. इस परियोजना का उद्देश्य लोगों में इस विषय के प्रति जागरूकता फैलाना, सभी के लिए सुविधाओं को सुगम बनाना तथा सूचना का प्रसार करना है. ताकि अक्षम लोगों प्रशिक्षित किया जा सके जिससे वह आत्मनिर्भर बन कर सम्मानपूर्वक जी सकें.  WE THE PEOPLE एक ऐसा संगठन है जिसमें माता पिता, पेशेवर तथा दक्ष लोग, प्रशिक्षक इत्यादि शारीरिक तथा मानसिक रूप से अक