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मई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शांति एवं सौहार्द की ओर

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इनके व्यक्तित्व के बहुत से आयाम हैं. आप एक लेखक, संगीतकार, मूर्तिकार, फोटोग्राफर तथा एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं. Marketing Consultant के रूप में इनका कैरियर 20 वर्षों से भी अधिक का है. अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के हर पहलू को यह बड़ी ही कुशलता के साथ संतुलित करते हैं.  जीवन के हर क्षण को पूर्णता में जीने वाले व्यक्ति हैं श्री विजय कुमार सप्पति. विजयजी तेलगू भाषी हैं किंतु हिंदी भाषा को दिया गया योगदान महत्वपूर्ण है. हंस, सोंच विचार, कादम्बनी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में समय समय पर इनकी कहानियां, कविताएं तथा आलेख छपते रहते हैं. किंतु इनकी पहली पसंद Internet है. जिसकी पहुँच का दायरा बहुत बड़ा है. अब तक इनका एक कविता संग्रह 'उजले चांद की बेचैनी' तथा एक कहानी संग्रह 'एक थी माया' प्रकाशित हो चुके हैं. इनकी रचनाओं को कई भारतीय भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है.  विजयजी का मानना है कि हिंदी को इस विविधताओं से भरे देश को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. विजयजी का लेखन वास्तविक्ता के बहुत करीब है. वह समाज में आए दिन घटित होने वाली

हौंसले की मिसाल 'डॉ. सुंकी कार्तिक'

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'मन के हारे हार है और मन के जीते जीत'. जीवन मे वास्तविक पराजय तब होती है जब आप मन से हार जाते हैं. जो वय्क्ति मन को मजबूत बनाए रखता है और कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत नही हारता वह हालातों को अपने पक्ष में कर जीत हांसिल करता है.  तेलंगाना के रहने वाले डॉ. सुंकी कार्तिक ऐसे ही ना झुकने वाले हौंसले की मिसाल हैं. Paraplegic डॉ. सुंकी Wheelchair पर बैठ कर मरीज़ देखते हैं. अपनी शारीरिक अवस्था को इन्होंने अपने काम में अड़चन नही बनने दिया. इनके समर्पण तथा कार्यकुशलता से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने इन्हें June 2015 में 'Best Doctor Award' से सम्मानित किया. डॉ. सुंकी का जीवन भी एक आम युवक की भांति ही चल रहा था. वह MBBS तीसरे वर्ष के छात्र थे. तभी समय ने इनकी परीक्षा लेने की ठानी. 10 दिसंबर 2011 में डॉ. सुंकी एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए. प्रारंभ में चिकित्सकों ने आश्वासन दिया कि सर्जरी के बाद तीन माह में वह अपने पैरों पर खड़े होने लगेंगे. उम्मीद के साथ वह उस क्षण की प्रतीक्षा करने लगे. तीन माह बाद जब यह संभव ना हो सका तो कुछ हद तक वह निराश हुए लेकिन शीघ्र

एक अनोखी 'बेकरी'

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जब हौंसले और सकारात्मक सोंच का संगम होता है तो उसका नतीजा भी कुछ अनोखा ही होता है. 'साई बेकरी' भी इसी संगम से उपजी है. यह एक अनूठा प्रयास है जहाँ स्वाद के साथ साथ खुशियां भी पकती हैं. इस बेकरी का संचालन   2 0   से  3 0   वर्ष के ऐसे युवाओं द्वारा किया जाता है जो किसी भी प्रकार की Developmental Disabilities  जैसे  Cerebral Palsy, Mental Retardation, Autism   आदि से ग्रसित हैं.   यह बेकरी इन सभी युवाओं को उनके भीतर छिपी हुई प्रतिभा को उजागर करने का अवसर देती है. यहाँ वह आपस में घुलते मिलते हैं जिसके कारण वह समाज के साथ संवाद स्थापित करना भी सीखते हैं. इन सबके ऊपर यहाँ काम करते हुए उन्हें इस बात का एहसास होता है कि वह भी समाज के उपयोगी अंग हैं. यह एहसास उनके आत्मविश्वास को बढ़ा देता है.  इस Bakery मे  25  से भी अधिक प्रकार की अंडे तथा मक्खन रहित Whole Wheat Multi grain Cookies का उत्पादन किया जाता है.                                                                                                                             इस Bakery  को  DORAI  Foundation  ( Developm