शांति एवं सौहार्द की ओर
इनके व्यक्तित्व के बहुत से आयाम हैं. आप एक लेखक, संगीतकार, मूर्तिकार, फोटोग्राफर तथा एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं. Marketing Consultant के रूप में इनका कैरियर 20 वर्षों से भी अधिक का है. अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के हर पहलू को यह बड़ी ही कुशलता के साथ संतुलित करते हैं. जीवन के हर क्षण को पूर्णता में जीने वाले व्यक्ति हैं श्री विजय कुमार सप्पति. विजयजी तेलगू भाषी हैं किंतु हिंदी भाषा को दिया गया योगदान महत्वपूर्ण है. हंस, सोंच विचार, कादम्बनी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में समय समय पर इनकी कहानियां, कविताएं तथा आलेख छपते रहते हैं. किंतु इनकी पहली पसंद Internet है. जिसकी पहुँच का दायरा बहुत बड़ा है. अब तक इनका एक कविता संग्रह 'उजले चांद की बेचैनी' तथा एक कहानी संग्रह 'एक थी माया' प्रकाशित हो चुके हैं. इनकी रचनाओं को कई भारतीय भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है. विजयजी का मानना है कि हिंदी को इस विविधताओं से भरे देश को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. विजयजी का लेखन वास्तविक्ता के बहुत करीब है. वह समाज में आए दिन घटित होने वाली