मुश्किलें ना हों तो जीने का मज़ा क्या है
ज़िंदगी खूबसूरत है. परंतु इसकी खूबसूरती बढ़ जाती है जब हम इसके द्वारा पेश किए गए इम्तिहानों में सफल होते हैं. ज़िंदगी की चुनौतियां का सामना कर हम जीवन को पूर्णता में जीना सीखते हैं. मो. इमरान कुरैशी इस बात का उदाहरण हैं कि पीड़ा के बिना सार्थक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. 26 साल के इमरान 2009 से व्हीलचेयर पर हैं लेकिन इससे इनके जज़्बे में कोई कमी नहीं आई है. इमरान व्हीलचेयर स्पोर्ट्स जैसे बास्केट बॉल , बैडमिंटन मैराथन आदि खेलते हैं. इसके अलावा यह नृत्य और तैराकी भी करते हैं. देखते ही देखते किसी की भी तस्वीर कागज़ पर उतार देने का हुनर भी इनके पास है. इमरान मल्टीपल एक्सक्लोरोसिस नामक बीमारी का शिकार हैं. 17 साल की उम्र तक उनके जीवन में सब कुछ सामान्य था. 2007 में अचानक इनकी आँख की रौशनी चली गई. लखनऊ के PGI में दिखाया गया. करीब 25 दिन के इलाज से आँखें ठीक हो गईं. जब सब ठीक लगने लगा तब 2009 में इनके पैर सुन्न पड़ने लगे. डॉक्टरों ने बताया कि अब इमरान कभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते. इमरान का जन्म सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में रहने वाले किसान परिवार में हुआ था.