यादें
यादें हमारे बीते जीवन के खट्टे मीठे पलों का एक खज़ाना होती हैं। जो हमारे ह्रदय के किसी कोने में दबी होती हैं। एक झलक, किसी पन्ने पर लिखे कुछ शब्द, मिट्टी की सोंधी खुशबू , किसी की मुक्त हंसी कुछ भी दिल की गहराईयों में छिपे यादों के इस सागर में हलचल मचा देती है। जब कभी तन्हाई में हम बहुत अकेलापन महसूस करते है तब हमारे मानस पटल पर किसी चलचित्र की भांति हम इन्हें देख सकते हैं। इन यादों के साथ कभी हंसते हैं तो कभी हमारी आँखें छलक उठती हैं।
वैसे बीती बातों को याद करना आसान है किन्तु जब कोई हमें उनके बारे में लिखने को कहता है तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं। क्या सचमुच जो हमारे जीवन में बीता वह लिखने के योग्य है। यदि हाँ तो कहाँ से प्रारंभ करें। किन घटनाओं का जिक्र करें और किन्हें छोड़ दें इत्यादि।
सबसे बड़ी बात यह है की जो यादें हमारे व्यक्तिगत जीवन से इतनी गहराई से जुडी हैं उन्हें सब के साथ साझा करने में एक झिझक सी होती है। क्योंकि अपने व्यक्तिगत पलों को दूसरों के साथ बाटने में पूर्ण ईमानदारी बरतने की ज़रुरत होती है। हम तोड़ मरोड़ कर अपने मुताबिक़ उन्हें पेश नहीं कर सकते हैं। यही कारण है की ईमानदारी से लिखे गए संस्मरण ही लोकप्रिय हो पाते हैं।
जीवन में जो कुछ भी घट चुका है उसका हमारे वर्तमान पर भी प्रभाव पड़ता है। बचपन की सुनहरी यादें हमें जीवन भर तरोताज़ा रखती हैं। किन्तु जीवन में उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं। कई बार हमें जीवन में अवांछित परिस्तिथियों का सामना भी करना पड़ सकता है। ये भयानक यादों के रूप में हमारे दिल में बस जाती हैं।जिनका प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। ये जीवन की गति को बाधित कराती हैं। हम उस घटना विशेष में ही उलझ कर रह जाते हैं। जबकि जीवन में आगे बढ़ते रहना अति आवश्यक है। हमारे लिए उन बुरी यादों से पीछा छुड़ाना मुश्किल होता है। किन्तु फिर भी हमें चाहिए की उन यादों से स्वयं को आज़ाद करें ताकि जीवन की यात्रा में कोई ठहराव न आये।
जीवन की सांझ में जब व्यक्ति सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है तब अक्सर अकेला भी पड़ जाता है। इस समय में जीवन में संजोई गई यादें ही उसका सहारा होती हैं।
यादों का एल्बम सजाते समय उसमें उन यादों को ही स्थान देना चाहिए जो आपको आगे बढ़ने में मदद करें। जिन्हें आपने मानस पटल पर देख कर हम स्फूर्ति से भर जाएँ और आगे आने वाली कठिनाइयों का सामना कर सकें।
वैसे बीती बातों को याद करना आसान है किन्तु जब कोई हमें उनके बारे में लिखने को कहता है तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं। क्या सचमुच जो हमारे जीवन में बीता वह लिखने के योग्य है। यदि हाँ तो कहाँ से प्रारंभ करें। किन घटनाओं का जिक्र करें और किन्हें छोड़ दें इत्यादि।
सबसे बड़ी बात यह है की जो यादें हमारे व्यक्तिगत जीवन से इतनी गहराई से जुडी हैं उन्हें सब के साथ साझा करने में एक झिझक सी होती है। क्योंकि अपने व्यक्तिगत पलों को दूसरों के साथ बाटने में पूर्ण ईमानदारी बरतने की ज़रुरत होती है। हम तोड़ मरोड़ कर अपने मुताबिक़ उन्हें पेश नहीं कर सकते हैं। यही कारण है की ईमानदारी से लिखे गए संस्मरण ही लोकप्रिय हो पाते हैं।
जीवन में जो कुछ भी घट चुका है उसका हमारे वर्तमान पर भी प्रभाव पड़ता है। बचपन की सुनहरी यादें हमें जीवन भर तरोताज़ा रखती हैं। किन्तु जीवन में उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं। कई बार हमें जीवन में अवांछित परिस्तिथियों का सामना भी करना पड़ सकता है। ये भयानक यादों के रूप में हमारे दिल में बस जाती हैं।जिनका प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। ये जीवन की गति को बाधित कराती हैं। हम उस घटना विशेष में ही उलझ कर रह जाते हैं। जबकि जीवन में आगे बढ़ते रहना अति आवश्यक है। हमारे लिए उन बुरी यादों से पीछा छुड़ाना मुश्किल होता है। किन्तु फिर भी हमें चाहिए की उन यादों से स्वयं को आज़ाद करें ताकि जीवन की यात्रा में कोई ठहराव न आये।
जीवन की सांझ में जब व्यक्ति सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है तब अक्सर अकेला भी पड़ जाता है। इस समय में जीवन में संजोई गई यादें ही उसका सहारा होती हैं।
यादों का एल्बम सजाते समय उसमें उन यादों को ही स्थान देना चाहिए जो आपको आगे बढ़ने में मदद करें। जिन्हें आपने मानस पटल पर देख कर हम स्फूर्ति से भर जाएँ और आगे आने वाली कठिनाइयों का सामना कर सकें।
आशीष जी,
जवाब देंहटाएंआप का संस्मरण 'यादें' पढ़ा।
आप ने अपने विचार बहुत अच्छे से व्यक्त किये हैं ।
आप का कहना सच है कि यादें हमारे बीते जीवन की बातों को ताजा करती हैं।
आप से अनुरोध है फुर्सत में मेरे ब्लोग"Unwarat.com"पर आईये। मैं ने भी उस में कुछ संस्मरण लिखे हैं। उन्हें जरूर पढ़ियेगा तथा उन पर अपने विचार आवश्य व्यक्त करें --
१- 'मेरी यादों के प्याले के कुछ मनमोहक लम्हें।'
२-'यादों के झरोखे से देहरा दून जहाँ मेरा बचपन बीता'
विन्नी
ह्रदय को छूने वाली बातें
जवाब देंहटाएं