जीवन चलने का नाम



जिस प्रकार नदी अपने रास्ते में आने वाले अवरोधों को पार करते हुए सदैव आगे बढ़ती है उसी प्रकार जीवन की उपियोगिता भी बाधाओं को चुनौती देते हुए निरंतर आगे बढ़ने में है. सारी बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते रहने का नाम है जीवन. जो जुझारू लोग ऐसा साहस करते हैं उन्हें ही ज़िंदगी गले लगाती है. 
शिवानी गुप्ता एक ऐसे ही हौंसलामंद व्यक्तित्व का नाम है. इनके भीतर की जिजीविषा ने बाधाओं के भी हौंसले पस्त कर दिए. ज़िंदगी ने आगे बढ़ कर इन्हें गले लगाया है. 
Hotel management का Course करने के बाद शिवानी दिल्ली के Maurya Sheraton hotel में Public Relations Officer के पद पर काम कर रही थीं. वहाँ से त्यागपत्र देकर उच्च शिक्षा का सपना अपनी आंखों संजोए 22 साल की शिवानी विदेश जाने को तैयार थीं. उन्हें विदाई देने के लिए एक पार्टी का आयोजन किया गया. देर रात वह अपने प्रेमी तथा अन्य मित्रों के साथ कुछ मित्रों को घर छोड़ने तथा ताज़ी हवा खाने के इरादे से बाहर निकलीं. शिवानी अपने प्रेमी के साथ एक कार में थीं तथा अन्य कार में इनके मित्र थे. रात के सन्नाटे में खाली सड़क पर कारें तेज़ी से दौड़ रही थीं. तभी अचानक इनकी कार का टायर फट जाने के कारण कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई. जब आंख खुली तब सारे सपने टूट चुके थे. एक Quadriplegic के तौर पर इन्हें एक नए सिरे से जीवन की शुरूआत करनी थी. प्रेम में निराशा हाथ आई. समाज का बदला हुआ दृष्टिकोंण भी तकलीफदेय था. किंतु इन्होंने हार नही मानी. 


एक मित्र द्वारा भेंट में दिए गए Poster colours इनके जीवन में एक नई उम्मीद लेकर आए. इनकी मदद से इन्होंने Greeting Cards तथा चित्र बनाने आरंभ किए. एक मित्र के परामर्श पर प्रदर्शनियों द्वारा उन्हे बेंचना आरंभ किया. यहीं से शिवानी ने तय कर लिया कि वह शारीरिक व आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनेंगी. शिवानी ने New Indian Spinal Injuries Centre वसंतकुंज नई दिल्ली में Counsellor के रूप में काम करना आरंभ किया. इसी संस्था की ओर से वह छह हफ्तों के एक Training Course के लिए UK गईं. वहाँ का अनुभव बहुत कुछ सिखाने वाला था. उन्होंने देखा कि शारीरिक चुनौतियाों का सामना करने वाले लोग भी एक भरपूर जीवन का आनंद लेते हैं. Wheelchair उनके लिए कैद नही बल्कि बाहरी दुनिया से जुड़ने का माध्यम है. वापस आकर इन्होंने उसी संस्था में काम करना शुरू कर दिया. यहीं इनकी मुलाकात विकास से हुई. जो बहुत ही आकर्षक तथा बुद्धिमान थे. वहाँ वह Occupational Therapist का काम कर रहे थे. 
संस्था की तरफ आयोजित नैनीताल Trip पर दोनों की नज़दीकियां बढ़ीं. दोनों ने एक होने का फैसला कर लिया. शुरूआती अड़चनों के बाद दोनों विवाह बंधन में बंध गए. आपसी समझ तथा प्रेम ने एक सुंदर रिश्ते को जन्म दिया. 
शिवानी को UN ESCAP Forum की तरफ से Bangkok में 15 दिनों की एक Training में हिस्सा लेने का मौका मिला जिसका उद्देश्य शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे तथा बज़ुर्ग लोगों को Accessibility प्रदान करना था. महज 15 दिन का Course पर्याप्त नही था. अतः इन्होंने Rai University के Diploma in Architecture Course में दाखिला लिया. यहाँ आने वाली चुनौतियों का भी इन्होंने डट कर सामना किया. Architecture Diploma लेने के बाद शिवानी ने Reading University UK से Post Graduate Course किया. 
भारत लौट कर इन्होंने विकास तथा उनके एक मित्र सचिन वर्मा के साथ AcessAbility की स्थापना की. AcessAbility एक ऐसी फर्म है जो एक ऐसे वातावरण के निर्माण के उद्देश्य से काम कर रही है जहाँ शारीरिक रुप से अक्षम लोगों को सुगम आवागमन की सुविधा प्राप्त हो सके. Airlines, Cinema halls जैसी सुविधा प्रदान करने वाली संस्थाओं के Staff को इस प्रकार की Training देते हैं जिससे वह शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ सहानुभूतिपूर्ण तरीके से पेश आएं. साथ ही साथ AcessAbility उन्हें सही रोज़गार के अवसर प्रदान करने का काम भी करती है. 


शिवानी अपने मकसद में आगे बढ़़ रही थीं. अपने पति विकास का उन्हें पूरा सहयोग था. किंतु कुदरत ने उनका एक और इम्तहान लेने का फैसला किया. एक सड़क दुर्घटना में विकास की मृत्यु हो गई. एक समर्पित जीवनसाथी को खो देने का दर्द असहनीय था. लेकिन दर्द को सीने में छुपा कर इन्होंने अपने आप को पूरी तरह अपने मकसद के प्रति समर्पित कर दिया.
अपने जीवन के उतार चढ़ावों का लेखा जोखा शिवानी ने अपनी आत्मकथा 'No Looking Back' के रूप में लोगों के सामने रखा है. 
हालातों के सामने ना झुकने की उनकी प्रवृत्ति उन्हें सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करती है.

शिवानी को मिले पुरस्कारों की सूची 
• Helen Keller Award (2008)

• CavinKare Ability Mastery Award (2008)

• National (Role Model) Award given by the President of India (2004) 

• Neerja Bhanot Award (2004) given yearly to one woman achiever

• Red and White Social Bravery Award (1999)

• Sulabh International Women of the Year Award (1996) 
• Educational Scholarship from Tata, and Snowdon (UK) Scholarship (2004 – 2006)


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AccessAbility’s WEBSITE

Special Report: The girl who didn't give up (Aired: December 2006)

In conversation with Ms. Shivani Gupta, Founder of Access Ability


यह लेख Jagranjunction.com पर प्रकाशित हुआ है।

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