शांति एवं सौहार्द की ओर




इनके व्यक्तित्व के बहुत से आयाम हैं. आप एक लेखक, संगीतकार, मूर्तिकार, फोटोग्राफर तथा एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं. Marketing Consultant के रूप में इनका कैरियर 20 वर्षों से भी अधिक का है. अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के हर पहलू को यह बड़ी ही कुशलता के साथ संतुलित करते हैं. 
जीवन के हर क्षण को पूर्णता में जीने वाले व्यक्ति हैं श्री विजय कुमार सप्पति.
विजयजी तेलगू भाषी हैं किंतु हिंदी भाषा को दिया गया योगदान महत्वपूर्ण है. हंस, सोंच विचार, कादम्बनी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में समय समय पर इनकी कहानियां, कविताएं तथा आलेख छपते रहते हैं. किंतु इनकी पहली पसंद Internet है. जिसकी पहुँच का दायरा बहुत बड़ा है. अब तक इनका एक कविता संग्रह 'उजले चांद की बेचैनी' तथा एक कहानी संग्रह 'एक थी माया' प्रकाशित हो चुके हैं. इनकी रचनाओं को कई भारतीय भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है. 
विजयजी का मानना है कि हिंदी को इस विविधताओं से भरे देश को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. विजयजी का लेखन वास्तविक्ता के बहुत करीब है. वह समाज में आए दिन घटित होने वाली घटनाओं को ही आधार बना कर लिखते हैं.
सामाजिक पक्ष के अतिरिक्त उनके वयक्तित्व का आघ्यात्मिक पहलू भी है. धर्म तथा आध्यात्म की व्याख्या करते हुए वह कहते हैं कि धर्म आध्यात्मिक जगत में प्रवेश करने की सीढ़ी है. धर्म और आध्यात्म को एक कर नही देखना चाहिए. आध्यात्म बहुत विस्तृत है. जो व्यक्ति आध्यात्मिक जगत में प्रवेश कर जाता है उसके लिए धार्मिक संकीर्णता के कोई मायने नही रह जाते. वह तो ईश्वर के सामीप्य से अभीभूत रहता है.  
विजय सप्पति जी का मानना है कि व्यक्ति को आंतरिक जगत तथा वाह्य जगत के बीच सामंजस्य बना कर चलना चाहिए. यह कार्य कठिन है किंतु सुखी व शांत जीवन के लिए यह आवश्यक है. आवश्यक है कि हम आंतरिक जगत की वास्तविक्ता तथा वाह्य जगत की क्षणभंगुरता को समझ सकें.


लोगों में आध्यात्मिकता का प्रचार करने हेतु विजयजी का स्वप्न 'हृदयम' नाम से एक आश्रम स्थापित करने का है. जहाँ महापुरुषों के वचन, भक्ति संगीत, ध्यान तथा योग के माध्यम से आत्मिक जगत की अनुभूति कराई जा सके. यह कार्य दो उद्देशयों की पूर्ति के लिए होगा
1. लोगों के भीतर छुपी आत्मिक शक्ति को उभार कर उन्हें बेहतर मनुष्य बनाना
2. समाज में सुख व शांति का वातावरण बनाना. 
अभी यह कार्य वह फेसबुक पर अपने ग्रुप "HRYDAYUM"  के माध्यम से कर रहे हैं.
विजयजी का लोगों को संदेश है कि जीवन को भरपूर जिएं. सदैव प्रसन्न रहें. अपने दायित्वों का निर्वहन करें. सबसे महत्वपूर्ण जो भी आपके पास है उसके लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करें. 

यह लेख Jagranjunction.com पर प्रकाशित हुआ है।

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टिप्पणियाँ

  1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आशीष जी ,
    आपने तो मेरे बारे में इतना अच्छा लिखा है कि मेरे पास शब्द ही नहीं है .
    आपका बहुत बहुत आभार . अपना प्रेम और आशीर्वाद बनाए रखे .
    आपका अपना
    विजय

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    उत्तर
    1. मैं तो हर लिहाज से छोटा हूँ और आपसे प्रेम और आशीष की विनती करता हूँ।

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