स्वयं दिव्यांग होकर भी करते हैं सेवा

 






स्वयं दिव्यांग होकर भी करते हैं सेवा


मनुष्य में हौसला और कुछ करने की चाहत हो तो कोई चीज़ कठिन नहीं है। यही मिसाल पेश की है बिहार के शांति मुकुल जी ने।‌ वह स्वयं शारीरिक रूप से अक्षम हैं फिर भी दिव्यांग जनों की सेवा में समर्पित हैं।


इनका जन्म 1983 में बिहार की साहित्यिक और सांस्कृतिक राजधानी मुजफ्फरपुर में हुआ था। जन्म से ही इनका एक पैर पोलियो के कारण पैरालिसिस से ग्रस्त है। पर इनमें हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। इन्होंने इतिहास विषय से स्नातक एवं बी.एड. की डिग्री प्राप्त की। स्वयं दिव्यांग होने के कारण अन्य दिव्यांगों की पीड़ा को समझते थे। इसलिए उन्होंने स्वयं ही दिव्यांग जनों के उत्थान के लिए काम करने का बीड़ा उठाया।


शांति मुकुल स्वतंत्र रूप से दर्जनो संस्थान से जुड़े हुए हैं और दिव्यांगों की सेवा कर रहे हैं। इन्होंने कई बार रक्त दान भी किया है। 

शांति मुकुल की पत्नी कुमारी सरिता भी एक हाथ व पैर से दिव्यांग हैं और अपने पति के कार्य में पूरा सहयोग करती हैं।


शांति मुकुल ने अपने आप को पूरी तरह दिव्यांग जनों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। दिव्यांग जनों की भलाई के लिए उपकरण दिलवाना हो, दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाना हो, पेंशन की सुविधा लेनी हो या राशन कार्ड बनवाना हो शांति मुकुल सदा उनकी सेवा को तैयार रहते हैं। 


इसके अलावा मनरेगा योजना के तहत दिव्यांग लोगों का जाॅब कार्ड बनवाना, जीविका के माध्यम से दिव्यांग जीविका समूह बनवाना, हो या फिर स्वरोजगार की बात हो शांति मुकुल हर कार्य मे दिव्यांग लोगों को प्रेरित करते हैं‌। वह  आवश्यकता पड़ने पर दिव्यांगों के आवेदन को सही जगह पहुँचाने में भी हर संभव सहायता करते हैं।


शांति मुकुल ने बिहार और दूसरे राज्यों मे नि:शक्तता पर आधारित आयोजित प्रशिक्षणों एवं कार्यशालाओं मे सक्रिय भागीदारी निभाई है। इसकै लिए इन्हें खूब तारीफ मिली है। 


शांति मुकुल ने इंटरनेट मीडिया एवं वाट्सएप पर ग्रुप बनाकर भी कई कोरोना संक्रमण से जूझ रहे दिव्यांग लोगों की मदद की है। 


दुर्भाग्यवश वर्ष 2009 में एक सड़क दुर्घटना में इनका दाहिना पैर भी बुरी तरह टूट गया । मगर शांति मुकुल ने हिम्मत नहीं हारी। अपने आप को प्रेरित किया और पुन: दिव्यांग लोगों की सेवा में जुट गए। 





शांति मुकुल को उनके काम के लिए अब तक कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। जिनकी लिस्ट निम्न है। 



"महात्मा बुद्ध अवार्ड" विशेष ओलिंपिक बिहार 


बिहार गौरव सम्मान 


"वीर कुंवर सिंह सम्मान"


"रोल मॉडल पीडब्ल्यूडी मेल"-राष्ट्रीय आस्था चैरिटेबल ट्रस्ट 


*समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सम्मान 


*वेस्ट बंगाल फोरम ऑफ रिहैबिलिटेशन प्रोफेसन द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा निति कार्यशाला मे सम्मान 


*जयपुर मे उम्मीद कर्मवीर योद्धा सम्मान 

*दिव्यांग रत्न सम्मान -उम्मीद फाउंडेशन जयपुर


*भगवान जानकी स्मृति सम्मान- बिहार कृषि महोत्सव 


*पुनर्वास और संसाधन केन्द्र द्वारा समाज सेवा सम्मान 


*इनर व्हील क्लब ऑफ लिच्छवी के रक्त दान शिविर मे सम्मान 


 * निर्मल अनुपम फाउंडेशन द्वारा - 'मानव सेवा सम्मान'


*जिला स्तरीय दिव्यांग खेल कुद आयोजन मे कोच के रूप मे सम्मान 


दिव्यांग लोगों की सेवा में रत शांति मुकुल अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाते हैं। उनकी इच्छा है कि सरकार द्वारा उन्हें कोई रोजगार उपलब्ध कराया जाए।


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