अनोखी व्हीलचेयर

 



                      अनोखी व्हीलचेयर


जब कोई व्यक्ति शारीरिक चुनौती का सामना करता है तो सहायक उपकरण ही उसके जीवन को सुगम बनाते हैं। चलने फिरने में असमर्थ लोगों के लिए व्हीलचेयर एक ऐसा सहायक उपकरण होता है जिसकी सहायता से उन लोगों को आवागमन में बहुत सहायता मिलती है। एक व्हीलचेयर ऐसे व्यक्तियों को स्वावलंबी बनने में मदद करती है।

परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि आज भी हमारे देश में ऐसे स्थानों की कमी है जो व्हीलचेयर का प्रयोग करने वालों को आवागमन की सुगमता प्रदान कर सकें। अधिकांश स्थानों पर सीढ़ियां होती हैं। जिन पर व्हीलचेयर का चढ़ पाना सुगम नहीं होता है। सीढ़ियां ना भी हों तो अधिकतर धरातल बहुत ऊँचे नीचे होते हैं। जिन पर व्हीलचेयर चलाना कठिन होता है।

व्हीलचेयर का प्रयोग करने वालों की इन समस्याओं को समझ कर आविष्कारक और वैज्ञानिक रियाज़ रफीक़ ने एक अनोखी व्हीलचेयर का निर्माण किया है। इस अनोखी व्हीलचेयर की एक खासियत यह है कि इसकी सहायता से सीढ़ियां भी आसानी से चढ़ी जा सकती हैं। व्हीलचेयर में एक खास तरह का मेकेनिज्म प्रयोग किया गया है। इस मैकेनिज्म के प्रयोग की वजह से उपयोगकर्ता को केवल अपनी व्हीलचेयर को चलाने के लिए कंट्रोल पैनल से दिशा का चुनाव करना होगा। यह व्हीलचेयर सीढ़ी चढ़ने के लिये पूरी तरह से स्वचालित होगी। यही नहीं इस व्हीलचेयर का प्रयोग अलग अलग आकार की सीढ़ियों पर भी असानी से किया जा सकता है। 


वैढ़न, सिंगरौली, मध्य प्रदेश के निवासी रियाज़ रफीक ने इस अनोखी व्हीलचेयर के आविष्कार के लिए अपने व्यक्तिगत संसाधनों, धन और दस साल से अधिक समय के कड़े परिश्रम का निवेश किया है। उनका मकसद शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के जीवन को आसान बनाना था। उन्होंने अपने प्रयासों से अपनी अनोखी व्हीलचेयर का पेटेंट भी प्राप्त किया है।

रियाज़ रफीक ने वर्ष 2002 में भोपाल के रेलवे स्टेशन की उस घटना के बारे में बताया जिसके कारण उन्होंने अपना बहुत कुछ दांव पर लगा कर इस अनोखी व्हीलचेयर का आविष्कार किया। रेलवे स्टेशन पर उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा जो एक पैर से अपाहिज था। वह व्यक्ति अपने आप को घसीटते हुए बहुत ही परेशानी से स्टेशन की सीढ़ीयां चढ़ रहा था। यह देखकर वह बहुत अधिक बेचैन हो गए। उस व्यक्ति की दशा को याद करके वह दुखी हो जाते थे। उनका मन किसी काम में नहीं लगता था। उन्होंने अपने मन में ठान लिया कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की सहायता के लिए कुछ करेंगे। सोच विचार के बाद रियाज़ रफीक ने इस व्हीलचेयर की डिज़ाइन पर शोध का काम शुरू किया जिससे दिव्यांग सीढियां भी आसानी से चढ़ सकने में सक्षम हो सकें। 

रियाज़ रफीक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के मशीन डिज़ाइन में मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी की डिग्री हासिल की है। अपने ज्ञान को उन्होंने इस नेक काम में लगाया है। अब तक रियाज़ रफीक ने दर्ज़न भर से अधिक आविष्कार किए हैं। उन्होंने करीब आठ अविष्कारकों को पेटेंट के लिये आवेदन किया है। 

विकासशील देशों में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को आत्मसम्मान का जीवन व्यतीत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनमें भी समाज के विकास में योगदान देने की प्रतिभा होती है। पर सुगम आवागमन की सुविधा ना होने के कारण अपनी प्रतिभा का सही प्रयोग नहीं कर पाते हैं। रियाज़ रफीक ने उनकी इस समस्या को दूर कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है। उनकी अनोखी व्हीलचेयर कई शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की मददगार हो सकती है।

रियाज़ रफीक ने अपने इस आविष्कार के दूसरे संस्करण पर भी काम किया है। यह बिना बैटरी वाली व्हीलचेयर है। इसके पेटेंट के लिए आवेदन भी कर चुके हैं। 

लेकिन वह बैटरी वाली व्हीलचेयर को विकसित कर जरूरतमंदों से पूरी टेस्टिंग हो जाने के बाद ही बिना बैटरी वाले संस्करण पर काम शुरू करना चाहते हैं।

अपने व्यक्तिगत प्रयासों से उन्होंने अपनी अनोखी व्हीलचेयर डिज़ाइन कर उसका पेटेंट भी हासिल कर लिया है। परंतु अपने इस आविष्कार को लोगों तक पहुंँचाने के लिए उन्हें सहायता की आवश्यकता है। संसाधनों की कमी उनकी आविष्कार की गई व्हीलचेयर को ज़रूरतमंदों तक पहुँचने नहीं दे रही है। रियाज़ रफीक ऐसे लोगों की तलाश में हैं जो उनकी इस अनोखी व्हीलचेयर को प्रयोग के लिए उपलब्ध कराने में सहायक हो सकें। वह अपने इस आविष्कार को विकसित करने के लिए अनुदान चाहते हैं ताकि अपने आविष्कार "सीढ़ी चढ़ने वाली व्हीलचेयर" को विकसित कर सकें। उनके प्रयास से तैयार अनोखी व्हीलचेयर ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंँच सके।

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