आत्मविश्वास एक शक्ति

मानवता  का इतिहास ऐसे लोगों की कथाओं  से भरा है जिन्होंने अपने अदम्य साहस के बल पर वो कर दिखाया जो मनुष्य की क्षमताओं से परे मालूम पड़ता था। ऐसी  उनमें कौन सी विशेष शक्ति थी जिसके बल पर वो ऐसे कार्य कर सके। वह शक्ति है आत्मविश्वास की जिसने उन्हें ऊंचाईयों को छू लेने को प्रेरित किया। आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने बड़े सपने देखे और उन्हें प्राप्त किया।

" महान कार्य करने के लिए हमें न सिर्फ बड़े लक्ष्य रखने चाहिए  वरन उन पर विश्वाशस  भी करना  चाहिए।"
                                                                                                               [ अनातोले फ्रांस]
आत्मविश्वास एक प्रेरक शक्ति जो हमें जीवन में आगे बढ़ने तथा कुछ कर दिखाने के लिए प्रोत्साहित करती है। कुछ कर दिखाने के लिए हमें मज़बूत शरीर की नहीं बल्कि मज़बूत इरादों की आवश्यता होती है। आत्मविश्वास ही हमारे इरादों को मज़बूत करता है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है वह् कभी भी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है। जो स्वयं पर विश्वास नहीं करता वो किसी भी वास्तु पर विश्वास नहीं कर सकता है।

" ब्रहमांड की समस्त शक्तियां हमारे भीतर समाहित हैं। ये हम ही हैं जो अपने नेत्रों को ढंक कर अँधेरे का रोना रोते हैं।"  [स्वामी विवेकानंद]

ऐसा क्यों है की कुछ लोग तो कुछ भी प्राप्त कर सकने के योग्य होते हैं और कुछ लोग यह सोंचते  कि वो अपने मन चाहे लक्ष्य को नहीं पा सकते हैं। ऐसे व्यक्ति सदैव सोंचते हैं कि कुछ कर सकने के लिए हमें असाधारण शक्तियां चाहिए। किन्तु आत्मविश्वास के बल पर साधारण लोग भी असाधारण कार्य कर सकते हैं। 
हम सभी के भीतर वो शक्ति है जिसके बल पर हम असाधारण कार्य कर सकते हैं। आवश्यकता है अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानने की। हम सिर्फ भौतिक शरीर मात्र ही नहीं हैं। हमारा वास्तविक रूप है 'आत्मा' जो कि उस परम शक्ति 'परमात्मा' का अंश है। अतः हमारे भीतर ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियां निहित हैं। अतः हमें अपने भीतर ही उन्हें खोजना चाहिए न कि बाहरी वस्तुओं में।
समस्या तब आती है जब हम केंद्र बिंदु 'आत्मा' से दूर भटक जाते हैं। तब हम अपने वास्तविक स्वरुप को नहीं पहचान पाते हैं। अतः हमें अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने का प्रयास करना चाहिए।
"हम वही हैं जो हम अपने विषय में सोंचते हैं।" यदि हम स्वयं को कमज़ोर तथा असहाय समझतें हैं तो हम कभी भी कुछ नहीं कर सकते है। किन्तु यदि हम स्वयं को शक्तिवान समझते हैं तथा स्वयं पर पर विश्वास करते है तो हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

" एक विचार लो, उस विचार विचार को अपने जीवन में उतार लो, उसी के बारे में सोंचो, उसी का स्वप्न देखो और उसी के लिए जियो। अपने मस्तिष्क एवं शरीर की शिराओं में उसे भर लो अन्य सभी विचारों को छोड़ केवल इसी विचार का मनन करो। यही सफलता का मूल है। "
                                                                [स्वामी विवेकानंद]
जिस तरह राईट बंधुओं ने हवाई जहाज बनाने का विचार लिया और उसे बनाने के लिए अपना सर्वस्व उसमें झोंक दिया। अथक परिश्रम के बल पर उन्होंने अपना स्वप्न सच कर दिखाया। अतः अपने विचार को अपना जीवन समर्पित करें। उसके पूरा होने पर पूर्ण विश्वास रखें। आप अपने लक्ष्य को पा सकते हैं।
कभी भी यह न सोंचें कि आप दुर्बल हैं। स्वयं पर विश्वास रखें। यही विश्वास आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगा। आप ईश्वर की अनमोल कृति हैं। ईश्वर ने आपको सफल होने की समस्त शक्तियां प्रदान की हैं। स्वयं को कमज़ोर समझाना अनुचित है। अतः आत्मविश्वास विकसित करें।

       " सफल होने के लिए आवश्यक है कि हम विश्वास रखें कि हम कर सकते हैं।"
                                          [माईकल कोर्डा]
समाज का एक बड़ा वर्ग अन्धकार में जी रहा है। लोग गरीबी तथा बदहाली का जीवन जी रहे हैं। सदियों से शोषित इन लोगों में एक हीन भावना घर कर गयी है। अशिक्षा इसका एक मात्र कारण है। यदि इन लोगों में शिक्षा का प्रसार हो तो उनमें आत्मविश्वास  पैदा होगा। आत्मविश्वास के ज़रिये वो अपनी समस्याएं स्वयं सुलझा सकेंगे।

        "आत्मविश्वास जगाईये क्योंकि आप ही स्वयं की मदद कर सकते हैं।"
 




टिप्पणियाँ

  1. kissi ne such kaha hai..saaap ke muh mein frog,frog ke muh mein macchar,macchar ke muh mein insect contineous cycle of life.....uparwala humme do legs ke saath bhejta hai,do ke hum chaar karte hai like animals( getting married),char ke hum aanth legs karte hai( getting kids,kids ke phir kids).......This life converts into life of spider with lots and lots of legs..You know human life is same like spider pahale toh woh apna web khushi khushi expand karta rahata hai then one day he left with one option to start eating his own built web in order to survive otherwise he would be trapped inside it and die( Same applies to relations from birth to old age relations expands and expands then at one time we reaches at that stage.............. ...)....Practically we can try as proof to make others happy..but it is 100% reality that it is impossible. kahi na kahi se koi na koi shikhayat apna rasta dhoond hi leti hai.....So Best ART OF LIVING is to make ownself happy..Good saying....I don't know the way to success but way to failure is to waste time and energy in making other's happy...right boss....Iss universe mein jesus christ tak ko nahi chora woh toh biological paida nahi hue the seedha bhagwaan ke bacche the unhe toh unke hi favourate student ne dhoka diya phir hummari aur tumhaari kya baat....Sub log unhe beabasi se crusify hote hue dekte rahe koi bhi,maaye ka laal saamne nahi aaya na.....jeete jee toh apne liye duniya mein woh itna pyar paida nahi kar paaye lekin marne ke baad aadhi se jayeda duniya unki deewani hai why.....Because he was exactly same from inside and outside....pure....Anyway life's beauty is with each and every minutes new challenges and willpower to face it......zindagi mein chahe sub kuch dheela ho jaaye lekin no compromise with will power...uparwale ne paida kiya to woh roti ke liye bandha hua hai woh chahe bhooke pait utha sakta hai lekin woh kissi ko bhi bhooke pait sulata nahi hai just do your best and leave the rest.....just keep on moving...............as time is reducing............Jab uparwale ne film banakar bheji hai to keep on watching the movie why interrupting...jab rukawat ka time aayega woh khud hi board laga dega"Rukawat ke liye khaid hai"...

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