रुक जाना नहीं


रुक जाना नहीं 


जब समय आपके प्रति कठोर हो तब अपने आप को और अधिक कठोर बनाएं. यह आपको मुसीबतों का सामना करने में मदद करेगा. कुछ इसी तरह की सोंच है CA चिराग चौहान की. मुसीबतों से हार ना मानने का इनका जज़्बा काबिले तारीफ है. 
18 वर्ष की आयु में पिता का साया सर से उठ गया. अपनी ज़िम्मेदारियों को समझते हुए इन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने का निश्चय किया. इसके लिए चिराग ने Charted Accountancy के कोर्स में दाखिला लिया. साथ ही साथ इन्होंने Graduation में भी प्रवेश लिया. एक दृढ़ निश्चय के साथ दोनों परीक्षाओं की तैयारी आरंभ कर दी. स्नातक में प्रथम श्रेणी प्राप्त की. साथ ही साथ CA की PE II की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली. Articleship के लिए इन्होंने M/S A.J. Shah & Co. को चुना. यहाँ अपना काम चिराग को बहुत पसंद आ रहा था. गाड़ी बहुत अच्छी चल रही थी.


लेकिन 11 July 2006 का दिन इनके जीवन में बड़ा भूचाल लेकर आया. इसकी शुरुआत आम दिनों की तरह ही हुई थी. रोज़ की तरह चिराग अपने काम पर गए. काम जल्दी ख़त्म हो जाने के कारण उन्होंने घर लौटने के लिए लोकल ट्रेन पकड़ी. सारा मुंबई लोकल ट्रेन में हुए धमाकों से दहल गया. तकरीबन 180 लोगों को जान गवानी पड़ी तथा कई घायल हुए. चिराग भी इन धमाकों में घायल हो गए. उनकी रीढ़ की हड्डी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई. अचानक ही ज़िंदगी की गाड़ी जैसे पटरी से उतर गई. जहाँ वह CA बनकर सुखद भविष्य की कल्पना कर रहे थे वहीं अब रोज़मर्रा के छोटे छोटे काम भी उनके लिए चुनौती बन गए थे. ' मैं ही क्यों ' ये सवाल उनके मष्तिष्क में हलचल मचाने लगा. लेकिन उन्हें यह समझने में अधिक देर नहीं लगी कि जो है उसे वह बदल नहीं सकते किंतु स्थिति को स्वीकार कर एक नई शुरुआत कर सकते हैं. 
इस काम में उनकी मदद के लिए उनके डॉ. राजुल वासा जो कि Motor control वैज्ञानिक भी हैं सामने आए. चिराग को पुनः स्वावलंबी बनाने के लिए उन्होंने एक Rehabilitation कार्यक्रम बनाया. चिराग तथा डॉ. वासा ने कड़ा परिश्रम किया. अपने जीवन की गाड़ी को फिर से पटरी पर दौड़ाने के लिए उन्होंने दोतरफा लड़ाई लड़ी. स्वावलंबी बनने की तथा अधूरे रह गए CA बनने के सपने को पूरा करने के लिए. परिस्थितियां कठिन थीं लेकिन चिराग भी हार मानने वालों में नहीं थे. उन्होंने परिस्थितियों को झुकने के लिए मजबूर कर दिया. आखिरकार 12 July 2008 का वह दिन आया जब May  2008 में संपन्न हुई CA Final परीक्षा का परिणाम आया. केवल 25% परिक्षार्थी ही उत्तीर्ण हुए जिनमें चिराग भी थे. लेकिन इस परीक्षा के साथ साथ वह कई और परीक्षाओं में भी सफल हुए जो समय ने उनके सामने रखी थीं. 

आज चिराग की Chouhan & Company नामक Charted Accountancy Firm है. इसके अलावा वह एक Online startup company Expertmile.com के cofounder भी हैं. 
चिराग ने हालात के सामने हार नही मानी. ना ही आतंकवाद का शिकार होने पर उनके मन में कोई कड़वाहट आई. उनका मानना है कि आतंकवाद से निपटना जनता तथा सरकार की मिलीजुली ज़िम्मेदारी है. 


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