हम किसी से कम नही


'सदैव उन लोगें के बारे में सोंचें जिनके कष्ट आप से अधिक हैं. जो जीवन आपको मिला है उसे सही मायनों में उपयोग करें.' 
इसी फलसफे को अपने जीवन में उतारा है निष्ठा ठाकेर आनंद ने. स्वयं Muscular Dystrophy नामक बीमारी का शिकार निष्ठा शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को एक ऐसा जीवन प्रदान करने में सहायता करती हैं जहाँ वह आत्मसम्मान के साथ समाज में रह सकें.
निष्ठा का जन्म 23 दिसंबर 1973 में छत्तीसगढ़ प्रदेश के रायपुर में हुआ था. इनकी परवरिश गुजरात के जुनागढ़ में हुई. 11 साल की उम्र में इन्हें अपनी बीमारी का पता चला. इस छोटी सी उम्र में यह एक बड़ा आघात था. सन् 1985 में Bombay hospital मुंबई के डॉ. B S Singhal ने जांच करके बताया कि निष्ठा Charcot Merrie Tooth नामक बीमारी से ग्रसित हैं जो कि Muscular Dystrophy की तरह ही है. इसके कारण शरीर के Muscles कमजोर पड़ जाते हैं. इससे शारीरिक गतिविधियों में परेशानी आती है. इन्हें जो भी दवाइयां तथा इलाज बताया गया उसका कोई नतीजा नही निकला. अतः हताश होकर निष्ठा ने तय किया कि वह आगे कोई औषधि नही लेंगी. 10th के बाद निष्ठा के पिता नहीं रहे. डेढ़ साल वह बुखार से पीड़ित रहीं जिसके कारण कमज़ोर हो गईं और Tuberculosis का शिकार हो गईं. इस बीमारी के इलाज ने इनके शरीर को इस कदर कमजोर कर दिया कि यह पूर्णतया Wheelchair पर आश्रित हो गईं.
1993 में आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. केतन ठाकेर ने प्रयोग के तौर पर निष्ठा को कुछ आयुर्वेदिक औषधियां देनी आरंभ कीं. एक लंबे इलाज के बाद यह लाभ हुआ कि निष्ठा Walker के सहारे चलने लगीं. यहाँ निष्ठा का आत्मबल ही उनके काम आया. जिसके कारण वह स्वावलंबी बन सकीं.


इन सब के बीच निष्ठा की शिक्षा निर्बाध रूप से चलती रही. इन्होंने जूनागढ़ से अपना Graduation किया और उसके बाद अहमदाबाद से Human resource management में Post graduation तथा MBA किया.  इन्होंने Ellisbridge Gymkhana,SEWA तथा Udgam school जैसी संस्थाओं में काम किया. वर्तमान में वह Indian Institute of management में Clerical assistant के तौर पर कार्यरत हैं.
2004 में निष्ठा की मुलाकात संजना गोयल से हुई जो कि IAMD (Indian Association of Muscular Dystrophy) नामक NGO की President हैं. इस मुलाकात से निष्ठा के जीवन में एक बदलाव आया. उन्हें उनके जीवन का लक्ष्य मिल गया. निष्ठा ने Muscular Dystrophy से पीड़ित व्यक्तियों के पुनर्वास तथा उन्हें सक्षम बनाने के लिए कार्य करना आरंभ किया. जब 2008 में इन्होंने IAMD के 19th medical awareness camp का आयोजन किया. तब इन्हें Muscular Dystrophy से पीड़ित व्यक्तियों की विभिन्न समस्याओं का पता चला. अब तक वह गुजरात के 9 जिलों में ऐसे Camps का आयोजन कर चुकी हैं. इन Camps के कारण पीड़ित व्यक्तियों एवं उनके परिवारों को एक दूसरे विचार एवं समस्याएं जानने का मौका मिलता है. इन Camps के द्वारा निष्ठा को दो प्रमुख बातों का पता चला. पहली यह कि आनेजाने के लिए कई पीड़ितों के पास Wheelchairs का आभाव है. दूसरी यह कि अधिकांश पीड़ित व्यक्ति बहुत कम ही घर से बाहर निकल पाते हैं. अतः इन्होंने सहायता एकत्रित कर 16 Wheelchairs का वितरण किया है जिससे पीड़ित व्यक्तियों के जीवन में सुधार आया है. इसके अतिरिक्त उनके मनोरंजन हेतु कई पिकनिक आयोजित कर चुकी हैं. वह IAMD की एक प्रमुख सदस्य हैं. देश भर में घूम कर निष्ठा Muscular Dystrophy से पीड़ित व्यक्तियों को प्रोत्साहित करती हैं. यह निष्ठा का साहस और आत्मबल ही है कि इन्होंने अमरनाथ की कठिन यात्रा पूरी की.
निष्ठा कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं. 2011 में इन्हें गुजरात सरकार द्वारा Best employee (Person with disability) पुरस्कार दिया गया. इसके अतिरिक्त Long achievement award BJP महिला मोर्चा द्वारा, IIMA welfare committe की तरफ से Special achievement award (2008 तथा 2010 में) तथा Doctor Batras Positive health award 2013 में दिया गया. इसके अतिरिक्त निष्ठा को FICCI और CBM आस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित सेमीनार में शारीरिक रूप अक्षम लोगों को विकास के समान अवसर प्रदान किए जाए इस विषय पर व्यक्तव्य देने के लिए बुलाया गया.


निष्ठा की इन कामयाबियों में इनके अदम्य साहस के साथ साथ इनके परिवार का भी सहयोग रहा है. इनकी माता सदैव ही इनके साथ रहीं और अब इनके पति कृष्णा इन्हें संबल प्रदान कर रहे हैं. निष्ठा एक प्यारी सी बच्ची की माँ हैं.
निष्ठा स्वयं को दूसरों से अलग नहीं मानती हैं. वह चाहती हैं कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के प्रति लोग अपना नजरिया बदलें. यदि उन्हें भी अवसर दिए जाएं तो वह समाज में अपना बहूमूल्य योगदान दे सकते हैं.

Udaan

Unheard voices

Nishtha's story on Headline Today 2nd clip

यह लेख Jgaranjunction.com पर प्रकाशित हुआ है

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