अद्भुत प्रतिभा बिना बाजुओं के सुन्दर चित्रकारी


सरिता द्विवेदी इलहाबाद विश्वविधालय के फाइन आर्टस विभाग की छात्रा हैं।  सरिता सुन्दर चित्र और मूर्तियां बनाती हैं।  एक फाइन आर्टस की छात्रा के लिये इसमें नया क्या है।  नया है सरिता का साहस।  सरिता की दोनों भुजाऐं एवं एक पैर नहीं है।  बिजली का करंट लगने से उन्हें अपने हाथ पांव गवाने पडेे़।  किन्तु सरिता अपने दातों के बीच ब्रश फंसा कर एक पैर की मदद से सुन्दर कलाकृतियां बनाती हैं।  सरिता को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले हैं। 
२४ वर्षीय सरिता आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं।  विकलांगता को वह अभिशाप नहीं मानती हैं।  उनका कहना है कि लोगों को शारीरिक रूप से अक्षम लोगें के प्रति अपना रवैया बदलना चाहिए। उनके प्रति अत्यघिक दया भाव दिखाने की बजाय उनके गुणों को देखना चाहिये। 



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