जहाँ चाह वहाँ राह

जहाँ चाह वहाँ राह


इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है अजित कुमार यादव ने।  एक लंबी बीमारी के कारण उनके नेत्रों की ज्योती चली गई, किंतु उनके हौंसले की मशाल जलती रही।  नेत्रहीनता उनके राह का रोडा़ नही बनी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के Spring Dale School से पूरी की। दिल्ली के Ramjas college से इन्होंने समाजशास्त्र में MA किया।  इसके बाद हरियाणा के एक सरकारी स्कूल में पढा़या।  
UGC NET-JRF पास कर इन्होंने Shyamlal college of Delhi university में सहायक प्रोफेसर के तौर पर काम करना आरंभ किया। 
इसके बाद इन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी प्रारंभ की।  इसके लिए तकनीकि का बेहतर प्रयोग किया।  किंतु सिविल सेवा की परीक्षा मे 791 में से 208 रैंक पाने के बावजूद उन्हें IAS Officer के तौर पर नियुक्ति नही मिली।  कारण उनकी नेत्रहीनता थी। इससे भी अजित निराश नही हुए।  तीन साल की कानूनी लडा़ई लड़ कर उन्होंने अपने तथा अपने जैसे अन्य लोगों का अधिकार प्राप्त किया। 
अजित की पहली पोस्टिंग त्रिपुरा के अम्बासा में SDM के रूप में हुई।
अजित का मानना है कि यदि सही अवसर मिलें और हिम्मत से काम लें तो विकलांगता आगे बढ़ने में बाधा नहीं बनती है। 

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